तुलसीदास जी के दो शिष्यों के बीच कोरोना वार्तालाप
पहला शिष्य :
बाहर निकल भ्रमण जिन कीन्हां।
खाकी-गण दारुन दु:ख दीन्हां।।
लम्ब डण्ड से होत ठुकाई।
करहु नियंत्रण मन पर भाई।।
डाउन लॉक रहहु गृह माहीं।
भ्रमण फिज़ूल करहु तुम नाहीं।।दूसरा शिष्य :
सत्य सखा तव सुंदर वचना
भेदि न जाइ पुलिस की रचना
खाकीधारी अति बलशाली
मारहि लाठि देहिं बहु गाली
पृष्ठ भाग खलु करहिं प्रहारा
चहूं ओर मचै हाहाकारा
जदपि सखा इच्छा मन माहीं
तदपि कदापि न टहलन जाहीं।😄😄😄😆😆😆