एक दुखी पति की कलम से

एक दुखी पति की कलम से ..

इस बार गर्मियों की छुट्टियों का
बेड़ा ही गरक हो गया

ना ‘ये’ मायके गई..
और ना ‘वो’ मायके *आई *
😊😊